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रोज की तरह मै घर से निकला ही था टहलने के लिए तभी देखता हु की हमारे क्रिकेट खेलने वाले मैदान के समीप एक लड़का नशे में गिरा हुआ है। पहले तो मैंने उसे नजरंदाज़ कर दिया लेकिन सामने जाकर देखा तो वो राहुल था। क्या वो सचमुच राहुल ही था ? उसकी ये हालत कैसे हुई ?
मेरे आँखों के सामने वो 2 महीने पहले का दृश्य नाच उठा।
राहुल एकदम सीधा सा कोई १७-१८ साल का लड़का था। एकदम हसमुख और भोला सा। किसी से कुछ लेना देना नहीं था। अपने काम से काम रखने वालो में से था वो। लेकिन !! क्या प्यार किसी को इतना बदल सकता है ? क्या कोई प्यार इतनी सिद्दत से कर सकता है। उसने भी ऋचा से प्यार किया था लेकिन क्या मिला बदले में उसे ?
उसकी यही गलती थी न की वो एक मिडिल क्लास फॅमिली से तालुक रखता है। उसकी यही गलती थी की उसके पास गिफ्ट लेने के लिए पैसे नहीं थे। क्या इस दुनिया में फीलिंग्स की कोई क़द्र नहीं है ? उस लड़की के एक गलती के कारण एक लड़का अपना फ्यूचर बर्बाद कर रहा है। दिन रात नशे का आदि हो गया है। किसी ने ठीक ही कहा है
“हमें तो अपनों ने लुटा गैरो में कहा दम था,
और जहा कसती डूबी थी वह पानी कम था”
इसी खयालो में डूबा हु मै घर के तरफ जा रहा था, सूरज की लाली पच्छिम में जा रही थी, राहुल के जीवन के अंत के लिए चंद लम्हे बाकी थे !!!!!!!
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